आपने इसे यदि न पढ़ा हो तो जरूर पढ़ लीजिए। यह मेरी ही कविता है। डैडी ने मुझे बताये बिना इसे अपने ब्लॉग पर छाप दिया था-
सभी अंकल्स और आण्टियों को सादर प्रणाम! भैया-दीदी को नमस्ते
-सत्यार्थ
आपने इसे यदि न पढ़ा हो तो जरूर पढ़ लीजिए। यह मेरी ही कविता है। डैडी ने मुझे बताये बिना इसे अपने ब्लॉग पर छाप दिया था-
सभी अंकल्स और आण्टियों को सादर प्रणाम! भैया-दीदी को नमस्ते
-सत्यार्थ
खिलौना घोड़े पर बैठे हुए एक सुन्दर से गुड्डे को झूमता देख मैंने भी उसकी नकल में झूमना शुरू कर दिया था। मेरी दीदी भी मेरी नकल करने लगी। चाचा ने डैडी को बुला लिया। डैडी ने मुझे बताये बिना मोबाइल कैमरा चालू कर दिया था।
पहले तो मैं झूमता रहा, लेकिन ज्यों ही मुझे सूटिंग का पता चला मैने ब्रेक ले लिया। मुफ़्त का मनोरंजन क्यों कराता भला? फिर भी कुछ रिकॉर्डिंग तो हो ही चुकी थी। अब सोचता हूँ ...काश
पूरा खेल अब देखने को मिलता। खैर देखिए तो सही...
आप सबके स्नेह से बहुत खु्श हूँ आजकल... अपनी पोस्ट सबसे ज्यादा पढ़ता हूँ:)
(सत्यार्थ)
मैं अभी छोटा हूँ न... इसलिए मुझे मेरे घर वाले कोई काम ही नहीं करने देते। अपना मुण्डन कराने गाँव गया था। घर के आंगन को रंगोली से सजाने के लिए मेरी दीदी और बुआ लोग जुट गयीं थीं। हल्दी और चावल के घोल की कटोरी मेरे हत्थे चढ़ गयी थी, लेकिन मैंने जैसे ही उसे हाथ लगाया, एक बड़ी सी दीदी ने देख लिया और मुझे डाँट खानी पड़ी।
रोता देखकर डैडी ने मेरी फोटॊ खींचने के लिए मोबाइल निकाल लिया। मजबूरी में मुझे चेहरा ठीक करना पड़ा। रोती हुई फोटू अच्छी नहीं लगती है न...! कभी वैसी फोटू भी दिखाउंगा। अभी तो वही रंगोली वाली ही देखिए।
थोड़ा शर्मा तो रहा हूँ, लेकिन ब्लॉगजगत में मौज लेने का रिवाज है, इसलिए इस वीदियो को भी ठेलता हूँ। बस आपके लिए...
इस खेल का वीडियो देखने के लिए यहाँ चटका लगाइए।
अभी तो बस ब्लॉग ही बनाया है... लिखना कब शुरू करूंगा, कह नहीं सकता। :) पहले गोली बनाना तो सीख लूँ :D