Sunday, December 6, 2009

आज मेरा जन्मदिन है... छः दिसम्बर !!!

हाँ जी, अब से तीन साल पहले गोरखपुर के एक नर्सिंग होम में मैं इस दुनिया में लाया गया। तबसे जब भी मेरा यह जन्मदिन आता है लोग पता नहीं क्यों हिन्दू-मुसलमान और राजनीति की बातें ज्यादा करने लगते हैं। लेकिन मुझे क्या... मैं तो आज भी रोज की तरह सुबह-सुबह बरामदे में उतर आयी धूप में विशू के साथ खेलने में मस्त हूँ। ‘वीशू’-अरे वही चम्पा ऑण्टी की बेटी... ‘चम्पा ऑण्टी’ - वही जो हमारे घर खाना बनाने आती हैं...।

डैडी ने कहा कि फोटू खींचना है तो मैने उन्हें ओब्लाइज कर दिया है। आप भी देख लीजिए मैं कितना क्यूट और स्मार्ट लग रहा हूँ।

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वीशू और मैं आँगन में

तो आपलोग चाहें तो मुझे हैप्पी बड्डे बोल सकते हैं। सबको प्रणाम और अग्रिम धन्यवाद।

Saturday, September 19, 2009

मेरी एक कविता मेरे डैडी ने लिखी…

 

आपने इसे यदि न पढ़ा हो तो जरूर पढ़ लीजिए। यह मेरी ही कविता है। डैडी ने मुझे बताये बिना इसे अपने ब्लॉग पर छाप दिया था-

गर्मी की   छुट्टी आई है।

दीदी की मस्ती छायी है॥

पर देखो,   मैं हूँ बेहाल।

कट जाएंगे     मेरे बाल॥

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मम्मी कहती फँसते हैं ये।

डैडी कहते ‘हँसते हैं’ ये॥

दीदी कहती  ‘हैं जंजाल’।

कट जाएंगे     मेरे बाल॥

मुण्डन को है गाँव में जाना।

परम्परा से    बाल कटाना॥

नाऊ की कैंची      बदहाल।

कट जाएंगे        मेरे बाल॥

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दीदी की शॉपिंग

गाँव-गीत की लहरी होगी।

मौसी-मामी  शहरी होंगी॥

ढोल - नगाड़े   देंगे ताल।

कट जाएंगे      मेरे बाल॥

दादा – दादी, ताऊ – ताई।

चाचा-चाची, बहनें – भाई॥

सभी करेंगे    वहाँ धमाल।

कट जाएंगे       मेरे बाल

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बूआ सब आँचल फैलाए।

बैठी होंगी   दाएं - बाएं॥

हो जाएंगी     मालामाल।

कट जाएंगे      मेरे बाल॥

कोट माई’ के दर जाएंगे।

कटे बाल को  धर आएंगे॥

‘माँ’ रखती है हमें निहाल।

कट जाएंगे      मेरे बाल॥

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हल्दी, चन्दन, अक्षत, दही।

पूजा की थाली खिल रही॥

चमक उठेगा    मेरा भाल।

कट जाएंगे      मेरे बाल॥

मम्मी    रोज करें बाजार।

गहने, कपड़े   औ’  श्रृंगार॥

बटुआ ढीला - डैडी ‘लाल’।

कट जाएंगे      मेरे बाल॥

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बाबू (14)

अब तो होगी मेरी  मौज।

नये खिलौनों की है फौज॥

मुण्डन होगा बड़ा कमाल।

कट जाएंगे      मेरे बाल॥

सभी अंकल्स और आण्टियों को सादर प्रणाम! भैया-दीदी को नमस्ते

-सत्यार्थ

Sunday, September 6, 2009

वह झूमने वाला गुड्डा...

खिलौना घोड़े पर बैठे हुए एक सुन्दर से गुड्डे को झूमता देख मैंने भी उसकी नकल में झूमना शुरू कर दिया था। मेरी दीदी भी मेरी नकल करने लगी। चाचा ने डैडी को बुला लिया। डैडी ने मुझे बताये बिना मोबाइल कैमरा चालू कर दिया था।

पहले तो मैं झूमता रहा, लेकिन ज्यों ही मुझे सूटिंग का पता चला मैने ब्रेक ले लियाsmile_regular। मुफ़्त का मनोरंजन क्यों कराता भला? फिर भी कुछ रिकॉर्डिंग तो हो ही चुकी थी। अब सोचता हूँ ...काश

पूरा खेल अब देखने को मिलता। खैर देखिए तो सही...

आप सबके स्नेह से बहुत खु्श हूँ आजकल... अपनी पोस्ट सबसे ज्यादा पढ़ता हूँ:)

(सत्यार्थ)

Wednesday, September 2, 2009

मुझे तो कुछ करने ही नहीं देते...।

मैं अभी छोटा हूँ न... इसलिए मुझे मेरे घर वाले कोई काम ही नहीं करने देते। अपना मुण्डन कराने गाँव गया था। घर के आंगन को रंगोली से सजाने के लिए मेरी दीदी और बुआ लोग जुट गयीं थीं। हल्दी और चावल के घोल की कटोरी मेरे हत्थे चढ़ गयी थी, लेकिन मैंने जैसे ही उसे हाथ लगाया, एक बड़ी सी दीदी ने देख लिया और मुझे डाँट खानी पड़ी।

रोता देखकर डैडी ने मेरी फोटॊ खींचने के लिए मोबाइल निकाल लिया। मजबूरी में मुझे चेहरा ठीक करना पड़ा। रोती हुई फोटू अच्छी नहीं लगती है न...! कभी वैसी फोटू भी दिखाउंगा। अभी तो वही रंगोली वाली ही देखिए।रंगोली बना लू

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Tuesday, September 1, 2009

चेहरा ढँकने का खेल

थोड़ा शर्मा तो रहा हूँ, लेकिन ब्लॉगजगत में मौज लेने का रिवाज है, इसलिए इस वीदियो को भी ठेलता हूँ। बस आपके लिए...

इस खेल का वीडियो देखने के लिए यहाँ चटका लगाइए।

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Sunday, August 30, 2009

जब मैंने अपने हाथ-पैर से चलना सीख लिया था।

जब मैंने बक‍इयाँ चलना सीख लिया था तब मम्मी हमेशा डरी रहती थीं कि जाने कब मैं बिस्तर पर से चलते हुए नीचे टपक पड़ूँ। जब मैने एकाध बार छलांग लगा दी तो उन्होंने बिस्तर ही फर्श पर लगवा दिया था। डैडी अपने दोस्तों को भी वही जमीन पर बैठा कर मेरी मस्त चाल का आनन्द लेते थे। जी.एस. अंकल तो मेरे दीवाने थे। देखिए...

यह ऊपर की वीडियो क्लिप देखने के लिए यहाँ चटका लगाएं।

नीचे एक और यादगार वीडियो क्लिप  यहाँ है, चटकाइए

(सत्यार्थ)

Saturday, August 29, 2009

अभी तो कुछ सोचा नहीं है...!

Image023 मेरी पहली पोस्ट तो यूँ ही टेस्ट के लिए है। किसी और से उधार लिखवा रहा हूँ। बाद में एक पोस्ट लिखकर चुका दूंगा।

मैं तो अभी गोली बनाना ही सीख रहा हूँ। कुछ अक्षर लिखना सीख लूँ तबतक उधार खाता ही चलेगा।

आप सबको सादर नमस्कार।